मरने से ठीक पहले दिमाग क्या सोचता है |

मरने से ठीक पहले दिमाग क्या सोचता है |

जब से हम पैदा हुए हैं हमारा दिमाग लगातार काम कर रहा है। आपका शरीर सोते समय आराम कर भी लेता है लेकिन मस्तिष्क कभी आराम नहीं करता है वह उस समय भी सोचता है, जिस कारण आप सपने देखते हैं। इंक। मस्तिष्क बहुत सारा काम जैसे सोचना, संख्याओं को याद रखना, लिखने के लिए शब्द देना आदि करता है। बहुत से काम करने के लिए मस्तिष्क का स्थिर होना बहुत ज़रूरी है। आजकल की भाग दौड़ भरी ज़िंदगी में कम समय में अधिक काम करने के लिएदिव्य का सही समय पर सही प्रतिक्रिया देना आवश्यक है।

मौत के वक़्त किसी के दिमाग में क्या होता है?

जी उठने की उम्मीद है लाशों को

जी उठने की उम्मीद है लाशों को

अमरीका में कैंसर की मरीज़ 14 साल की एक लड़की को इसकी इजाज़त मिली थी कि मौत के बाद उसके शरीर को संभाल कर रखा जाए. उस किशोरी की मौत अक्टूबर में हो गई.

शरीर को संभालकर रखने की इस विधि को 'क्रायोजेनिक्स' कहा जाता है. क्रायोजेनिक्स यह उम्मीद दिलाता है कि मरा हुआ इंसान सालों बाद जी उठेगा. हालांकि इसकी कोई गारंटी नहीं कि ऐसा होगा.

आख़िर यह कैसे होता है?

मौत के बाद जितनी जल्दी हो सके, लाश को ठंडा कर जमा दिया जाए ताकि उसकी कोशिकाएं, ख़ास कर मस्तिष्क की कोशिकाएं, ऑक्सीजन की कमी से टूट कर नष्ट न हो जाएं.

दिमाग की स्टेम दिल के लिए फायदेमंद!

दिमाग़ की उत्तेजना दिल के लिए फायदेमंद!

दिमाग की के एक हिस्से की उत्तेजना दिल के लिए फायदेमंद हो सकती है।

'प्रोसीडिंग्स ऑफ़ द नेशनल एकेडमी ऑफ़ साइंस' में प्रकाशित इस रिसर्च पेपर के अनुसार दिमाग़ का जो हिस्सा शरीर की गतिविधियों को नियंत्रित करता है, उसके उत्तेजक होने से दिल का दौरा पड़ने के बाद मरीज़ की हालत सुधर सकती है।

अध्ययन में चूहे के दिमागों पर तेज़ रोशनी डाली गई। ये चूहे उन जानवरों की तुलना में तेजी से दौड़ने लगे जिन पर यह प्रयोग नहीं आज़माया गया था।

सेहत के लिए खड़े रहना अच्छा है

सेहत के लिए खड़े रहना अच्छा

अनुमान लगाइए कि आप दिन भर में कितने घंटे बैठे-बैठे गुजारते हैं? हाल में किए गए एक डेवलपर में पता चला है कि हम कंप्यूटर पर काम करते हैं या टीवी देखते हुए लगभग 12 घंटे बैठे हुए बिता देते हैं। यदि इसमें सोने के घंटों को भी मिला है, तो हम 19 घंटे निष्क्रिय बिता देते हैं। कुछ अध्ययनों के अनुसार ज्यादा घंटे बैठने वाले लोग ज्यादा सक्रिय लोगों से दो साल कम जीतते हैं। बल्कि अगर आप रोज़ रोज़ की भी आदत हो तो भी इससे खास बात नहीं होती।

नगालैंड में सिर काटने वाला क़बीला

नगालैंड में सिर काटने वाला क़बीला

लोंगवा घने जंगलों के बीच म्यांमार सीमा से लगता है भारत का op'iri गांव है। भारत के इस पूर्वोत्तर राज्य में 16 जनजातियाँ रहती हैं।

नगालैंड में सबसे अधिक कबीले
कोंयाक आदिवासियों को बेहद खूंखार माना जाता है। अपने क़ब्ले की सत्ता और ज़मीन पर क़ब्जे के लिए वे अक्सर पड़ोस के गांवों से लड़ाईयां किया करते थे।

कोंयाक गांव क्योंकि पहाड़ की चोटी पर है, इसलिए वे वहाँ से आसानी से अपने दुश्मनों पर नज़र रख सकते हैं।

दिल को बीमार करने वाला खतरनाक सीन

दिल को बीमार करने वाला ख़तरनाक जीन

तनाव के लिए ज़िम्मेदार एक जीन को हृदयघात या दिल की बीमारी में मौत का ख़तरा बढ़ाने वाला क़रार दिया गया है।

हृदय के जिन रोगियों में जीन संबंधी ऐसे बदलाव होते हैं, उनमें दिल के दौरे का खतरा 38 फ़ीसदी बढ़ जाता है। ब्रिटिश हार्ट फ़ाउंडेशन का कहना है कि इस अध्ययन से सीधे तौर पर तनाव के कारण हृदय संबंधी बीमारियों का ख़तरा बढ़ने का प्रमाण और पुख़्ता है।

क्या ये इंसानों की नई प्रजाति है?

क्या ये इंसानों की नई प्रजाति है?

चीन में पिछले दिनों विचित्र किस्म का जीवाश्म मिला, जो अब तक मालूम मानव प्रजाति के जीवाश्म से मेल नहीं खाता. क्या यह जीवाश्म किसी नए जीव के अस्तित्व की ओर इशारा करता है?

ये जीवाश्म न तो यूरोप में 35 हजार से डेढ़ लाख साल पहले मिले आदिमानव से मेल खाता है और न आधुनिक मानव से.

यह एकदम अलग है, पर जीवाश्म किस जीव का है, इसे लेकर कुछ भी तय नहीं है.

हालांकि जीवाश्म से संकेत मिलते हैं कि कोई अज्ञात प्रजाति के मानवों का अस्तित्व 60 हज़ार से एक लाख 20 हज़ार साल पहले मौजूद था.

मुमकिन है कि ये जीवाश्म किन्हीं दो मालूम प्रजातियों के बीच रूपांतरण काल का हो सकता है.

ये अपने बच्चों की जान क्यों ले रहे हैं?

ये अपने बच्चों की जान क्यों ले रहे हैं?

कोलंबिया, इक्वेडोर और बेलीज़ में पाया गया है कि एक ख़ास नस्ल के बांदर- स्पाइडर मंकी अपने ही नर बच्चों की हत्या कर रहे हैं।

एक नए अध्ययन के मुताबिक स्पाइडर मंकी के नर बच्चों की हत्या की वजह यौन प्रतिस्पर्धा को रोकना है।

स्पाइडर मंकी उन्हें इसलिए कहा जाता है कि ये बंदर कभी-कभार ही ज़मीन पर अपने पैर रखते हैं। एक फाइल से दूसरे पुल और एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर यह घंटों तांगे रहते हैं।

इस कूदने-फांदने और टहनियों से लटकने में इनकी पूंछ भी इनकी मदद करती है।

स्तनधारियों में 35 वानर जीवों सहित 119 जीवों में शिशुहत्या सामान्य बात है।

'भारतीय एशिया के सबसे बड़े भुलक्कड़, कैब में टीवी तक भूल जाते हैं लोग'

'भारतीय एशिया के सबसे बड़े भुलक्कड़, कैब में टीवी तक भूल जाते हैं लोग'

देखने की समस्या लगभग हर किसी को होती है, लेकिन हम भारतीयों में ये समास कुछ ज्यादा ही है। हम भारतीय कैब से यात्रा करने के दौरान ना सिर्फ अपना फोन भूलते हैं, बल्कि बच्चों की तिपहिया साइकिल, एलसीडी टीवी, बैग, झींगा मछली तक छोड़ जाते हैं। ऐसी कई कहानियाँ आपको मिलेंगी। एप आधारित टैक्सी सेवा देने वाली उबर ने अपने एक सर्वेक्षण में ऐसी कई घटनाओं का जिक्र किया है जहां भारतीय डीवी टीवी तक उसकी कैब में यात्रा करने के दौरान भूल गई।

सबसे ज़हरीला सांप, बिच्छू या घोंघा?

सबसे ज़हरीला सांप, बिच्छू या घोंघा?

दुनिया के सबसे ज़हरीले जानवरों की किसी भी सूची में सांप शीर्ष स्थान पर आते हैं। सभी सांप ज़हरीले तो नहीं होते लेकिन कुछ सांप काफ़ी ज़हरीले होते हैं।

ऑस्ट्रेलिया की ब्रिसबेन यूनिवर्सिटी के डॉ। ब्रायन फ्राय के मुताबिक़ ऑस्ट्रेलिया की एक स्थानीय प्रजाति सबसे ज़्यादा ज़हर बनाती है।

ब्रायन फ्राय कहते हैं, "मुल्गा सांप की एक बाइट में 1.3 ग्राम ज़हर होता है।" इस सांप को किंग ब्रुक भी कहा जाता है और यह पूरे ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता है। यह अमूमन लकड़ी के पुराने ढेर या कचरे में पाया जाता है।

हालांकि इसके बाद भी ऑस्ट्रेला में सांप काटने के मामले कम ही सामने आते हैं।

अब 'भेजा-टू-भेजा' भेज सकेंगे ईमेल!

अब 'भेजा-टू-भेजा' भेज सकेंगे ईमेल!

क्या हम किसी दिन अपने दिमाग़ों को इंटरनेट से जोड़ सकते हैं।

इंटरनेट कनेक्शन आज सबसे तेज़ और किसी भी अन्य संचार प्रणाली से बढ़कर हो गया है जो हमें जुड़े रखने में मदद करता है।

कभी-कभी हमें महसूस होता है कि हम अपनी इच्छा से ईमेल संचार करने की कगार पर हैं।

मैंने ईमेल भेजा, आपको मिला, आपने इसे पढ़ा और जवाब दिया- सब कुछ बस कुछ ही सेकंड में हो गया।

भले ही आप ये मानें या न मानें कि त्वरित संचार अच्छी बात है, लेकिन यह निश्चित रूप से हो रहा है।

वे पक्षी जो भोजन नहीं करते हैं, उन्हें चाहिए

वे पक्षी जिन्हें भोजन नहीं साथी चाहिए

कुछ पक्षियों को एक साथ रहना पसंद होता है और इसके लिए वे भूखे भी रह सकते हैं। वैज्ञानिकों को इसका पता तब चला जब ग्रेट टिट पक्षियों को एक समान वातावरण में रखा गया, और भोजन नहीं दिया गया।

ग्रेट टिट जोन्स ने भोजन खोजने की जगह एक-दूसरे के साथ समय रुकने को तरजीह दी।

TOT बॉयोलॉजी जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन से पता चलता है कि इन पक्षियों में सामाजिक रिश्तों और सामूहिकता का बोध मौजूद है।

इन पक्षियों को ये भी पता होता है कि परिवार को बढ़ाने और पालने के लिए उन्हें अपने साथी के सहयोग की जरूरत होगी।

इंसान कभी आदमखोर हुआ करते थे!

इंसान कभी आदमख़ोर हुआ करते थे!

तारीख़ की गर्द में ना जाने कितने राज़ सकारात्मक हैं। अगर कहा जाए कि तारीख़ का हरेक ज़र्रा अपने आप में एक राज़ छुपाए बैठा है तो ग़लत नहीं होगा। ब्रिटेन में ब्रिस्टॉल शहर के नज़दीक गो की गुफाओं से जब ये गर्द उड़ी तो इंसानी ज़िंदगी का एक ऐसा सच सामने आया जिस पर यक़ीन करना शायद थोड़ा मुश्किल हो। इस गुफ़ा में इंसानी जिस्म के जो अवशेष मिले उससे पता चलता है कि इंसान कभी आदमख़ोर होता था। वे एक दूसरे का ही शिकार कर लेते थे।

फ़ेसबुक पर हाहा ने पछाड़ा lol को

फ़ेसबुक पर हाहा ने पछाड़ा lol को

आप फ़ेसबुक पर लोगों से कैसे बात करते हैं? मतलब जब आप ख़ुश होते हैं या कोई जोक अच्छा लगता है तो क्या जवाब देते हैं, lol, HaHa या फिर कोई Emmji।

फ़ेसबुक पर अपनी ख़ुशी को ज़ाहिर करने के लिए एक्सप्रेशन के तौर पर सबसे ज़्यादा लोग हाहा (HAHA) लिखते हैं।

जबकि यंग जेनरेशन के बीच सबसे अधिक एक्सप्रेशन एलओएल (लोल) काफ़ी बैकड़ गया है।

सब पर भारी हाहा


फ़ेसबुक के जारी आंकड़ों के मुताबिक़ 51.7 प्रतिशत उपयोगकर्ता हाहा का इस्तेमाल करते हैं।

जबकि अपनी ख़ुशी को प्रकट करने के लिए इमोजीस (इमोजीस) का इस्तेमाल 33.4 फ़ीसद उपयोगकर्ता करते हैं।

घोंघे के दिमाग से समझदार बनेगा रोबोट

घोंघे के दिमाग से समझदार बनेगा रोबोट

एक शोध में सामने आया है कि घोंघा के मस्तिष्क में केवल दो ही कोशिकाएं होने के बावजूद यह कठिन परिस्थिति में कठिन निर्णय लेने में सक्षम होता है।
घोंघा के दिमाग की इस खूबी से वैज्ञानिक प्रभावित हैं और वह रोबोट का दिमाग ऐसा ही बनाना चाहते हैं ताकि वह प्रभावी और समझदार बन सके।

शोध के अनुसार घोंघा भले ही तुरंत निर्णय नहीं ले पाते लेकिन वे कठिन परिस्थितियों में अपना दिमागी संतुलन बनाए रखते हैं और कड़े निर्णय लेने में सक्षम होते हैं।